
आईआईटी कानपुर और बैंक ऑफ बड़ौदा ने हैकाथॉन 2025 का किया सफल समापन: डिजिटल बैंकिंग और साइबर सुरक्षा में नवाचार की नई दिशा
Kanpur/Mumbai , 7 October 2025
Source: Information and Media Outreach Cell, IIT Kanpur
कानपुर/मुंबई, 6 अक्टूबर 2025: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर (आईआईटी कानपुर) और बैंक ऑफ बड़ौदा के सहयोग से आयोजित बैंक ऑफ बड़ौदा हैकाथॉन 2025 का भव्य समापन आईआईटी कानपुर में हुआ। यह आयोजन वित्तीय सेवा विभाग (DFS) और इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (IBA) के मार्गदर्शन में किया गया था। इस हैकाथॉन का उद्देश्य “डिजिटल बैंकिंग में ज़ीरो ट्रस्ट सिक्योरिटी ” विषय पर नए और व्यावहारिक समाधान तैयार करना रहा।
प्रतियोगिता में देशभर के युवाओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया। कुल 420 से अधिक प्रतिभागी, 200 टीमें और 50 से अधिक नवाचारी समाधान इसमें शामिल हुए। कई चरणों के मूल्यांकन के बाद शीर्ष 10 टीमों का चयन किया गया, जिन्होंने अपने अभिनव विचार ग्रैंड फिनाले में प्रस्तुत किए। इन टीमों ने बैंकिंग सुरक्षा को सशक्त बनाने के लिए विविध समाधान पेश किए, जिनमें यूज़र और एंटिटी बिहेवियर एनालिटिक्स (UEBA) आधारित फ्रॉड प्रिवेंशन, एआई संचालित धोखाधड़ी रोकथाम प्लेटफ़ॉर्म, वॉइस और पहचान सुरक्षा समाधान, उन्नत रीयल-टाइम थ्रेट डिटेक्शन मॉडल, और बैंकों के लिए विशेष साइबर सुरक्षा ढाँचे शामिल थे। प्रत्येक प्रस्तुति के बाद जूरी द्वारा प्रश्नोत्तर सत्र हुआ, जिसमें विचारों की व्यवहारिकता, विस्तार क्षमता और दीर्घकालिक प्रभाव का मूल्यांकन किया गया।
ग्रैंड फिनाले में निर्णायक मंडल के रूप में श्री सौरभ शुक्ला, मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी, बैंक ऑफ बड़ौदा; प्रो. अंकुश शर्मा, प्रोफेसर, विद्युत अभियांत्रिकी विभाग, आईआईटी कानपुर और पूर्व प्रोफेसर-इन-चार्ज, एसआईआईसी, आईआईटी कानपुर; श्री पीयूष मिश्रा, मुख्य संचालन एवं वित्त अधिकारी, एसआईआईसी, आईआईटी कानपुर; और श्री अरुण कुमार, उप महाप्रबंधक (आईटी), बैंक ऑफ बड़ौदा उपस्थित रहे। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में श्री एस. के. थापर, वरिष्ठ सलाहकार, आईबीए (EASE Reforms) भी मौजूद थे।
इस अवसर पर प्रो. अंकुश शर्मा ने कहा कि ऐसे हैकाथॉन अकादमिक अनुसंधान और उद्योग जगत के बीच की दूरी को कम करने का काम करते हैं। यहाँ प्रस्तुत विचार भारत की बढ़ती क्षमता को दर्शाते हैं, जो डिजिटल सुरक्षा, फिनटेक और स्मार्ट बैंकिंग जैसे क्षेत्रों में देश को अग्रणी बना रहे हैं। प्रो. दीपु फिलिप, प्रोफेसर-इन-चार्ज, एसआईआईसी, आईआईटी कानपुर ने कहा कि एसआईआईसी का उद्देश्य सदैव नए विचारों को बाजार में उपयोगी और प्रभावशाली समाधान में बदलना रहा है। बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ आयोजित यह हैकाथॉन उसी मिशन को और मजबूत करता है, जिसमें उद्योग, शिक्षा और स्टार्टअप जगत एक साथ मिलकर डिजिटल बैंकिंग और साइबर सुरक्षा से जुड़ी वास्तविक चुनौतियों का समाधान खोजते हैं।
श्री सौरभ शुक्ला, मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी, बैंक ऑफ बड़ौदा ने कहा कि बैंक ऑफ बड़ौदा हमेशा से तकनीक को अपनाने में आगे रहा है। हमारा लक्ष्य है ग्राहकों को बेहतर अनुभव के साथ-साथ उच्चतम स्तर की सुरक्षा प्रदान करना। “ज़ीरो ट्रस्ट सिक्योरिटी” का सिद्धांत यह सुनिश्चित करता है कि हर लेन-देन और हर डिजिटल संपर्क को बिना किसी रुकावट के सत्यापित किया जाए, जिससे ग्राहकों को सुरक्षित और सहज बैंकिंग मिले।
कड़ी प्रतिस्पर्धा के बाद जूरी ने तीन सर्वश्रेष्ठ टीमों का चयन किया। प्रथम पुरस्कार टीम 200_OK को मिला, द्वितीय पुरस्कार टीम BobTheBuilder को और तृतीय पुरस्कार टीम PwnedCapybara को प्रदान किया गया, जबकि TechSavy को प्रोत्साहन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। विजेता टीमों को उनकी तकनीकी उत्कृष्टता, रचनात्मकता और व्यावहारिकता के लिए सम्मानित किया गया। समारोह में सभी विजेताओं को भव्य रूप से सम्मान किया गया।
यह आयोजन आईआईटी कानपुर, बैंक ऑफ बड़ौदा, डीएफएस और आईबीए की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसका लक्ष्य है भारत में एक सुरक्षित, समावेशी और नवोन्मेषी डिजिटल बैंकिंग तंत्र का निर्माण करना। इस पहल ने यह साबित किया कि जब युवा नवाचारकों को सही मंच और मार्गदर्शन मिलता है, तो वे विश्वस्तर पर भारत की नेतृत्वकारी भूमिका स्थापित कर सकते हैं।
बैंक ऑफ बड़ौदा के बारे में
बैंक ऑफ बड़ौदा की स्थापना 20 जुलाई 1908 को महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय द्वारा की गई थी। यह भारत का प्रमुख वाणिज्यिक बैंक है, जिसमें भारत सरकार की 63.97% हिस्सेदारी है। बैंक आज 17 देशों में लगभग 65,000 टच पॉइंट्स के माध्यम से 18 करोड़ से अधिक ग्राहकों को सेवाएँ प्रदान कर रहा है। अपनी आधुनिक डिजिटल सेवाओं के जरिए बैंक ग्राहकों को तेज़, सुरक्षित और आसान बैंकिंग अनुभव प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
एसआईआईसी, आईआईटी कानपुर के बारे में
स्टार्टअप इनक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर (SIIC), आईआईटी कानपुर की स्थापना वर्ष 2000 में हुई थी। यह देश के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित तकनीकी इनक्यूबेटर्स में से एक है और वर्तमान में 100 से अधिक स्टार्टअप्स को सहयोग दे रहा है। एसआईआईसी रक्षा, एयरोस्पेस, फिनटेक, स्वास्थ्य और सतत विकास जैसे क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देता है। यह केंद्र फाउंडेशन फॉर रिसर्च एंड इनोवेशन इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (FIRST) के अंतर्गत कार्यरत है, जो आईआईटी कानपुर द्वारा प्रोत्साहित एक गैर-लाभकारी संस्था है।
आईआईटी कानपुर के बारे में
1959 में स्थापित, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में मान्यता प्राप्त है। विज्ञान और इंजीनियरिंग शिक्षा में उत्कृष्टता के लिए प्रसिद्ध, आईआईटी कानपुर ने अनुसंधान और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसका 1,050 एकड़ का हरा-भरा परिसर शैक्षणिक और अनुसंधान संसाधनों से समृद्ध है। संस्थान में 20 विभाग, तीन अंतर्विषयी कार्यक्रम, 26 केंद्र और तीन विशेष स्कूल हैं, जो इंजीनियरिंग, विज्ञान, डिजाइन, मानविकी और प्रबंधन जैसे क्षेत्रों को कवर करते हैं। 570 से अधिक पूर्णकालिक फैकल्टी और 9,500 से अधिक छात्रों के साथ, आईआईटी कानपुर नवाचार और शैक्षणिक उत्कृष्टता में अग्रणी बना हुआ है।