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IIT कानपुर में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ इंजीनियर्स कॉन्क्लेव 2025 – इंटेलिजेंट और साइबर-फिजिकल सिस्टम्स के भविष्य को दिशा देने की पहल

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IIT कानपुर में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ इंजीनियर्स कॉन्क्लेव 2025 – इंटेलिजेंट और साइबर-फिजिकल सिस्टम्स के भविष्य को दिशा देने की पहल

Kanpur , 31 October 2025

Source: Information and Media Outreach Cell, IIT Kanpur

कानपुर, 30 अक्टूबर 2025: इंडियन नेशनल एकेडमी आफ इंजीनियरिंग (INAE) द्वारा देश के प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थानों के साथ संयुक्त रूप से आयोजित वार्षिक प्रमुख कार्यक्रम ‘इंजीनियर्स कॉन्क्लेव 2025 (EC-2025)’ का सफल आयोजन 28 और 29 अक्टूबर को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर में किया गया। यह कॉन्क्लेव श्रृंखला का बारहवां संस्करण था, जिसमें देशभर के प्रतिष्ठित इंजीनियरों, वैज्ञानिकों, तकनीकी विशेषज्ञों, उद्योग जगत के प्रतिनिधियों और नीति निर्माताओं ने भाग लिया।

इस वर्ष के कॉन्क्लेव की दो मुख्य थीमें थीं – “इंटेलिजेंट सिस्टम्स” जिसका समन्वय आईआईटी कानपुर के विद्युत अभियंत्रण विभाग के प्रो. आदित्य के. जगन्नाथम ने किया, और “इंटरडिसिप्लिनरी साइबर-फिजिकल सिस्टम्स” जिसका समन्वय आईएनएई के उपाध्यक्ष, पूर्व निदेशक आईआईटी जोधपुर एवं वर्तमान में आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर, प्रो. संतनु चौधुरी ने किया। ये दोनों विषय भारत की आर्थिक प्रगति, सामाजिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये डिजिटल और भौतिक अवसंरचना के संगम को सक्षम बनाते हैं। इस कॉन्क्लेव में देश के लिए आवश्यक इंजीनियरिंग के इन विशेष क्षेत्रों में आगे बढ़ने की चुनौतियों और अवरसरों पर बात की गई। कॉन्क्लेव के दौरान, जाने-माने इंजीनियरिंग एक्सर्ट्स ने साइबर फिजिकल सिस्टम के बड़े क्षेत्र में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और नवीनतम आर एंड डी डेवलपमेंट पर चर्चा की और “इंटेलिजेंट सिस्टम” और “इंटरडिसिप्लिनरी साइबर फिजिकल सिस्टम” जैसे दो जरूरी विषयों पर जानकारी युक्त टेक्निकल बातें बताईं।

कॉन्क्लेव की सह-अध्यक्षता आईएनएई के अध्यक्ष एवं भारतीय अंतरिक्ष के सदस्य, भारतीय अंतरिक्ष संघ (आईएसपीए) के चेयरमैन, एलएंडटी इम्प्लॉई ट्रस्ट के ट्रस्टी, डिफेंस एंड स्मार्ट टेक्नोलॉजी, लॉर्सन एण्ड टुब्रो लिमिटेड के पूर्व पूर्ण कालिक निदेशक तथा एलएंडटी सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के पूर्व निदेशक श्री जे.डी. पाटिल और आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने की।

राष्ट्रीय इंजीनियरिंग उत्कृष्टता के लिए एक मंच

स्वागत भाषण देते हुए, आईआईटी कानपुर के विद्युत अभियंत्रिकी विभाग के प्रमुख, प्रो. योगेश एस. चौहान, एफएनएई ने कोलैबोरेटिव टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन के महत्व पर जोर दिया और कहा कि “इंजीनियर्स कॉन्क्लेव जैसे प्लेटफॉर्म देश के सबसे होशियार दिमागों को अलग-अलग सेक्टरों में मुश्किल चुनौतियों के लिए मिलकर समाधान सोचने की ताकत देते हैं।”

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, प्रो. विक्रम साराभाई डिस्टिंग्युस्डप्रोफेसर, इसरो; कुलाधिपति, चाणक्य विश्वविद्यालय, बेंगलुरु,पूर्व सचिव, अंतरिक्ष विभाग एवंपूर्व अध्यक्ष, इसरो, डॉ. एस. सोमनाथ, ने अपने प्रेरणादायक संबोधन में कहा कि “कॉन्क्लेव के लिए चुने गए साइबर-फिजिकल सिस्टम और इंटेलिजेंस इंजीनियरिंग के विषय सरकार के मिशन मोड के हिसाब से हैं और इसके अच्छे नतीजे भी दिख रहे हैं। हम सभी साइबर फिजिकल सिस्टम का हिस्सा हैं। चंद्रयान साइब फिजिकल सिस्टम का एक बेहतरीन उदाहरण है, जिसमें चंद्रयान 2 के लिए तैयार किए गए सॉफ्टवेयर को अपग्रेड करके चंद्रयान 3 के सफल लॉन्च के लिए इस्तेमाल किया गया।“ उन्होंने आगे बताया कि साइबर-फिजिकल सिस्टम्स चिकित्सा, विनिर्माण और अन्य अनेक क्षेत्रों में अपार संभावनाएं रखते हैं।

आईएनएई के प्रेसिडेंट, श्री जे.डी. पाटिल ने अपने प्रेसिडेंशियल एड्रेस में आईएनएई के विजन और विकास और इंजीनियर्स कॉन्क्लेव के महल्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा, “यह कॉन्क्लेव इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि कैसे एकेडेमिया और इंडस्ट्री मिलकर पॉलिसी बना सकते हैं, इंजीनियरिंग एजुकेशन पर असर डाल सकते हैं और राष्ट्र निर्माण के लिए स्वदेशी इनोवेशन को बढ़ावा दे सकते हैं।“

अपने संबोधन में, आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने बताया कि देश की प्रगति के लिए शिक्षा, शोध और उद्योग के बीच मजबूत जुड़ाव जरूरी है। उन्होंने बताया कि संस्थान में साइबर-फिजिकल सिस्टम्स से जुड़ी कई गतिविधियां चल रही हैं, जिनमें नए शोध कार्यक्रम, तकनीकी जनशक्ति का प्रशिक्षण, स्टार्टअप्स को सहयोग और मेंटरिंग कार्यक्रम शामिल हैं। उन्होंने कहा, “भारत के इंजीनियरिंग क्षेत्र का भविष्य विभिन्न विषयों के मिलकर काम करने में है — जैसे इंटेलिजेंट सिस्टम्स और साइबर-फिजिकल टेक्नोलॉजी — जो हमें आत्मनिर्भर और डिजिटल रूप से सशक्त भारत बनाने की दिशा में आगे बढ़ा सकते हैं।”

दो दिन के इस इवेंट में प्लेनरी टॉक्स, पैरेलल टेक्निकल सेशन और नेटवर्किंग इंटरैक्शन हुए। इसने जाने-माने इंजीनियरिंग एक्टसपर्ट्स, एकेडमिक्स, टेक्नोलॉजी लीडर्स और एडमिनिस्ट्रेटर्स को दो थीम्स पर अच्छे नतीजों के साथ सार्थक बातचीत करने के लिए एक डायनामिक प्लेटफॉर्म दिया। इवेंट की खात बातों में दोनों थीम्स पर पैरेलल टेक्निकल सेशन शामिल खे, जिससे डेलीगेट्स को लेटेस्ट टेक्नोलॉजिकल डेवलपमेंट, चुनौतियों और संबंधित क्षेत्रों में ग्रोथ के स्कोप के बारे में जानकारी हासिल करने का अवसर मिला।

पहला प्लेनरी टॉक “सेल्फ-रिलायंट एआई/एमएल इन इंजीनियरिंग: एजुकेशन, रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट” विषय पर प्रो. पी.पी. चक्रवर्ती, एफएनएई, प्रोफेसर, कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग विभाग और पूर्व निदेशक, आईआईटी खड़गपुर द्वारा दिया गया। उन्होंने कहा, “जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को स्वदेशी अनुसंधान और नैतिक मानकों के साथ जोड़ा जाता है, तो यह भारत को वैश्विक डिजिटल नवाचार में अग्रणी बना सकता है।”

दूसरा प्लेनरी टॉक “डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री 4.0 एंड बियॉन्ड में साइबर-फिजिकल सिस्टम्स” विषय पर श्री जे.डी. पाटिल द्वारा प्रस्तुत किया गया। उन्होंने कहा कि “डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में साइबर-फिजिकल सिस्टम्स के समावेश से सटीकता और दक्षता में वृद्धि होगी और भारत स्मार्ट डिफेंस टेक्नोलॉजीज में वैश्विक नेतृत्व हासिल करेगा।”

कार्रवाई योग्य परिणामों की ओर

समापन सत्र की अध्यक्षता डॉ. पी.एस. गोयल, पूर्व अध्यक्ष, आईएनएई ने की, जिसमें दोनों थीम कोऑर्डिनेटर्स ने तकनीकी सत्रों का सार प्रस्तुत किया और नीति निर्माण एवं अनुसंधान को दिशा देने वाले ठोस सुझाव साझा किए।

डॉ. गोयल ने अपने समापन वक्तव्य में कहा, “इंजीनियर्स कॉन्क्लेव 2025 ने भारत की नवाचार प्रणाली को सशक्त बनाने और अनुसंधान से क्रियान्वयन तक की दूरी को कम करने के ठोस रास्ते तय किए हैं।”

कॉन्क्लेव ने पुनः यह पुष्टि की कि आईएनएई भारत प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने तथा राष्ट्रीय महत्व की समस्याओं के समाधान हेतु समर्पित है। इंजीनियर्स कॉन्क्लेव 2025 से प्राप्त सुझाव और सिफारिशें संबंधित सरकारी विभागों, उद्योगों और अनुसंधान एजेंसियों को साझा की जाएंगी, ताकि इंटेलिजेंट सिस्टम्स और साइबर-फिजिकल सिस्टम्स के क्षेत्र में स्वदेशी प्रौद्योगिकी को और मजबूती दी जा सके, जिससे भारत तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर और सशक्त बन सके।

अधिक जानकारी के लिए देखें: www.iitk.ac.in

भारतीय राष्ट्रीय अभियंत्रण अकादमी (INAE) के बारे में:

इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ़ इंजीनियरिंग (आईएनएई), जिसकी स्थापना 20 अप्रैल, 1987 को सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत एक सोसाइटी के रूप में हुई थी जो कि एक ऑटोनॉमस प्रोफेशनल बॉडी है और टेक्नोलॉजी भवन, नई दिल्ली में स्थित है। इसमें भारत के सबसे जाने-माने इंजीनियर, इंजीनियर-साइंटिस्ट और टेक्नोलॉजिस्ट शामिल हैं, जो इंजीनियरिंग के सभी डिसिप्लिन को कवर करते हैं। आईएनएई एक टॉप बॉडी के तौर पर काम करती है और इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी और उससे जुड़े विज्ञान को बढ़ावा देती है ताकि राष्ट्रीय महत्व की समस्याओं को हल करने में उनका इस्तेमाल किया जा सके। एकेडमी देश के विकास के लिए भविष्य की प्लानिंग के लिए एक फोरम भी देती है, जिसके लिए इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजिकल इनपुट की ज़रूरत होती है, और देश की ज़रूरतों के लिए पूरी तरह से समाधान के लिए ज़रूरी क्षेत्रों के विशेषज्ञों को एक साथ लाती है। टेक्निकल इवेंट्स और प्रोग्राम्स की चर्चाओं से निकलने वाले एक्शन लेने लायक सुझावों को राष्ट्रीय नीतियां बनाने के लिए इनपुट के तौर पर संबंधित सरकारी विभागों/एजेंसियों को विचार के लिए भेजा जाता है। देश की एकमात्र इंजीनियरिंग एकेडमी होने के नाते, आईएनएई इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ़ एकेडमिक्स ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजिकल साइंसेज (सीएईटीएस) में भारत का प्रतिनिधित्व करती है, जो दुनिया भर के 33 देशों के सदस्य एकेडमिक्स वाली एक प्रमुख गैर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संस्था है, जो स्थायी आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजिकल विज्ञान की प्रगति में योगदान देती है।

आईआईटी कानपुर के बारे में

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर, जिसकी स्थापना 1959 में हुई थी, को भारत सरकार ने संसद के एक एक्ट के ज़रिए राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के तौर पर मान्यता दी है। साइंस और इंजीनियरिंग एजुकेशन में अपनी बेहतरीन गुणवत्ता के लिए मशहूर, आईआईटी कानपुर ने पिछले कई दशकों में रिसर्च और डेवलपमेंट में अहम योगदान दिया है। इसका बड़ा, हरा-भरा कैंपस 1,050 एकड़ में फैला हुआ है और इसमें कई तरह के एकेडमिक और रिसर्च रिसोर्स हैं। इस इंस्टीट्यूट में 20 डिपार्टमेंट, 26 सेंटर, तीन इंटरडिसिप्लिनरी प्रोग्राम और इंजीनियरिंग, साइंस, डिज़ाइन, ह्यूमैनिटीज़ और मैनेजमेंट डिसिप्लिन में तीन स्पेशलाइज़्ड स्कूल शामिल हैं। 590 से ज़्यादा फुल-टाइम फैकल्टी मेंबर्स और 9,500 से ज़्यादा स्टूडेंट्स के साथ, आईआईटी कानपुर इनोवेशन और एकेडमिक सख्ती को बढ़ावा देने में सबसे आगे है।