किसलय कविता

आई० आई ० टी ० – कानपुर – किसलय,
अदम्य साहस भरते,
प्रथम चरण विद्या का रखने,
चंचल निश्छल नौनिहाल,
आते आई ० आई ० टी ० कानपुर – किसलय में,
घर नुमा प्राथमिक विद्यालय ये उनका,
नौनिहाल – की गूंज – किलकारियाँ है,
आई ० आई ० टी ० कानपुर – किसलय ।
किसलय जीवन का प्रभात है,
किसलय विद्या जीवन की नींव है,
कोरा कागज सा यह बचपन,
किसलय की अनूठी तस्वीर है,
मूरत ममता की है किसलय,
पहले कभी बसता टाइप –V,
आई ० आई ० टी ० कानपुर में,
आजकल बसता पडोस,
आई ० आई ० टी ० कानपुर, के ० वी ० में ।
प्यार सी मुस्कान लिए,
मुठ्टी में वरदान लिए,
प्रेम रूप अस्मित,
विलक्षण प्रतिभा है जिनकी,
सुबोध बालक बालिकाए,
उपस्थित रहते,
आई ० आई ० टी ० कानपुर – किसलय में ।
तीव्र स्फूर्ति वा ऊर्जा जिनकी,
बिजली जैसी दौड़ है उनकी,
इसीलिए क्षमता सबल कार्य करने की,
बनी रहती परिवार,
आई ० आई ० टी ० कानपुर – किसलय में ।
किसलय है सरिता सरस्वती की,
शिक्षक, कर्मचारी, स्टाफ एवं विद्यार्थी,
संवारता सपने उमंगे सबकी,
छूता सहर्ष सकारात्मक भावनांए सबकी,
ऐसा प्रमाणिक विद्यालय है,
आई ० आई ० टी ० कानपुर -किसलय ।
छोटी-छोटी नैतिक शिक्षा,
माध्यम ड्रामा,लोक गीत – कविता,
पूर्ण निष्ठा एवं विश्वास गुण से,
झोली किसलय सबकी भरता ।
किसलय इस युग का प्रभात है,
ईश्वर करे सौजन्य विनायक रहे,
यह प्यारा आई ० आई ० टी ० कानपुर – किसलय, अखंड सहज शीलता भरे, विद्यार्थियों के ह्रदयों में, यह आई ० आई ० टी ० कानपुर – किसलय, ऐसा विश्वास एवं कामना लिए, गर्वित है, आई ० आई ० टी ० कानपुर, परिवार एवं शिक्षक ।

Composed By-
Dr. Sukarma Rani Thareja
Alumnus IITK (1986)